मध्य प्रदेश के गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने, मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा आंदोलनकारी किसानों की गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद, जून 2017 में कहा था: मध्य प्रदेश में किसानों की आत्महत्याएं खेती के कर्ज के कारण नहीं बल्कि पारिवारिक झगड़े के परिणामस्वरूप हुई हैं. (‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ में छपी खबरद्ध
केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह से किसानों के जारी प्रतिवाद और मंदसौर में गोलीकांड के बारे में 8 जून 2017 को पूछे जाने पर उपदेश दिया: फ्योग कीजिये, योग” (‘द वायर. इन’ में छपी खबरद्ध.
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने 23 जून 2017 को कहा: “किसानों के लिये कर्जमाफी की मांग करना एक फैशन हो गया है.” (‘द वायर.इन’ में छपी खबरद्ध
हरियाणा के कृषिमंत्री ओ.पी. धनखड़ ने 29 अप्रैल 2015 को कहा था: फ्जो किसान आत्महत्या करते हैं वे ‘बुजदिल’ और ‘अपराधी’ हैं. चूंकि ‘भारतीय कानून के अंतर्गत आत्महत्या करना एक अपराध है’, इसलिये आत्महत्या करने वाले किसान भी कानून के अनुसार अपराधी हैं. वे बुजदिल किसान हैं, जो अपनी जिम्मेवारियों से भाग रहे हैं और अपनी जिम्मेवारियों का बोझ अपने परिवार वालों पर छोड़ जा रहे हैं.” (‘इंडियन एक्सप्रेस’ में छपा लेख)
केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने जुलाई 2015 में संसद में बयान दिया था: किसानों की आत्महत्या के दो सर्वोच्च कारण हैं नामर्दी और प्रेम प्रसंग. (‘द हिंदू’ की खबरद्ध
मध्य प्रदेश से भाजपा के विधायक रामेश्वर शर्मा ने फरवरी 2017 में कहा था: “मरे वो किसान हैं जो किसानी कम और सब्सिडी चाटने का व्यापार ज्यादा करते हैं. असली किसान कभी आत्महत्या नहीं करता. जिन्होंने अवैध तरीकों से रकम कमाई है, कर्ज लिया और शराब पी, ऐसे लोगों ने किसान समुदाय को बदनाम कर रखा है.” (‘फाइनेन्शियल एक्सप्रेस’ की खबरद्ध
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने मध्य प्रदेश विधान सभा में कांग्रेसी विधायक शैलेन्द्र पटेल द्वारा जुलाई 2016 में पूछे गये एक सवाल पर लिखित जवाब दिया था: किसानों ने इसलिये आत्महत्या की क्योंकि उन्हें भूत सता रहे थे. (‘रेडिफ.काम’ की खबरद्ध
उत्तर मुम्बई से भाजपा के सांसद गोपाल शेट्टी ने 18 फरवरी 2016 को कहा था: किसानों के लिये आत्महत्या करना एक फैशन बन गया है. (‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की खबरद्ध